- 25 मई 2023
कोण्डागांव, 25 मई 2023
जिले में लंपी स्किन बीमारी के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए पशु चिकित्सा विभाग समस्त पशुपालकों को सावधान रहने हेतु अपील करते हुए इस बीमारी के संबंध में जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। जिसके तहत कलेक्टर दीपक सोनी के निर्देशानुसार पशु चिकित्सा विभाग द्वारा अभियान चलाकर उपचार किया जा रहा है। इसके लिए उपसंचालक पशुचिकित्सा सेवाएं डॉ शिशिरकान्त पांडेय द्वारा बताया गया है कि जिले में पहला प्रकरण गत वर्ष अक्टूबर माह में विकासखंड फरसगांव के ग्राम भोंगापाल में प्राप्त हुआ था जिसके बाद विभाग द्वारा एडवाइजरी जारी कर प्रभावित क्षेत्र में आवागमन प्रतिबंधित करते हुए सतर्कता बरतने हेतु निर्देश दिए गए थे। वर्तमान में 1 मई से अब तक कुल 536 प्रकरण दर्ज किए गए जिनमे से 180 का इलाज जारी है एवं शेष ठीक हो चुके है।
प्रभारी पशुचिकित्सालय कोण्डागांव डॉ नीता मिश्रा द्वारा बताया गया कि बीमारी के शुरुवात में हाई फीवर के कारण पशु खाना बंद कर देता है, तत्पश्चात बीमार पशु के नाक से स्राव आने के साथ पूरे शरीर मे गुठली जैसे नोड्यूल बनने लगते है, तीसरा प्रमुख लक्षण है जिसमें गाय को अनेक स्थानों पर लटकती हुई सूजन दिखाई देने लगती है। मानो जैसे पानी के भरे हुए गुब्बारे लटक रहे हैं। त्वरित इलाज न होने की स्थिति में यह गुठली पककर फटने लगता है जिससे सेकेंडरी जीवाणु से संक्रमित होने पर गंभीर स्थिति मे अल्सर बनने से मैगोट संक्रमण पश्चात भयावह रूप दिखाई देता है। अतः विभाग द्वारा समस्त पशुपालकों से अपील की गयी है कि बीमार पशु का स्वयं उपचार न करें एवं उक्त लक्षण दिखाई देने पर तत्काल नज़दीकी पशुचिकित्सा संस्था को सूचित कर आवश्यक उपचार एवं दिशानिर्देश अनुसार ही कार्यवाही सुनिश्चित करे।
पशु वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र डॉ हितेश मिश्रा ने इस संबंध में विस्तृत चर्चा करने पर बताया कि इस वर्ष बीमारी के विकट रूप में फैलने के दो कारण हो सकते हैं कि लंपी स्किन डिजीज का वायरस अपने आप को अधिक विकसित कर रहा है दूसरा मौसम में परिवर्तन इस वायरस के लिए ज्यादा अनुकूल सिद्ध हो रहा है जिससे यह महामारी का प्रकोप बहुत तेजी से बढ़ रहा है। अभी तक वैज्ञानिकों का मानना था कि लंपी स्किन डिजीज से गायों की मृत्यु नहीं होती है लेकिन इस बार पशुओं में मृत्यु हो रही है। किंतु अभी तक लंपी बीमारी के पशुओं से मनुष्यों में फैलने की कोई प्रमाणित रिपोर्ट नहीं आई है अतः यह जूनोटिक नही है।
डॉ ढालेश्वरी ने बताया कि लंपी स्किन डिजीज एक वायरल बीमारी है जो कैपरी पॉक्स वायरस (केपरी पउवायरस) से फैलती है। यह बीमारी गायों का खून चूसने वाले कीड़ों और मक्खी मच्छरों से फैलती है। सामान्यतया इस बीमारी का प्रकोप वर्षा के दिनों में खासकर अतिवृष्टि के दिनों में महामारी का रूप लेती है क्योंकि हवा में नमी और उपयुक्त गर्मी बीमारी को फैलाने वाले मक्खी मच्छरों के लिए अत्यंत ही उपयुक्त प्रजनन का समय होता है। इसके कारण बड़ी मात्रा में बीमारी फैलाने वाले मक्खी मच्छर उत्पन्न होते हैं जो इस बीमारी को फैलाने में मुख्य भूमिका निभाते हैं। गायों के स्वास्थ्य एवं इम्यूनिटी के आधार पर इस बीमारी मैं गायों की मृत्यु दर में बहुत अंतर पाया जाता है।
लंपी बीमारी के नियंत्रण हेतु जिला कंट्रोल रूम हुआ स्थापित
वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए जिला प्रशासन के निर्देशानुसार पशुधन विकास विभाग द्वारा लंपी बीमारी के नियंत्रण हेतु जिला कंट्रोल रूम गठित किया गया है जिसमे जिला नोडल अधिकारी डॉ सुरेंद्र नाग (+91-9893518810) एवं प्रभारी पशु एंबुलेंस इकाई डॉ मनीष साकार (+91-9399620157) से उपचार एवं आवश्यक दिशानिर्देश हेतु संपर्क कर सकते है।
मैदानी स्तर पर नियंत्रण हेतु विभाग द्वारा विकासखंड स्तरीय नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए है। जिनमें कोण्डागांव हेतु डॉ नीता मिश्रा (+91-9131564254), केशकाल हेतु डॉ चार्ली पोर्ते (+91-8319852463), बडे़राजपुर हेतु डॉ पीएल ठाकुर (+91-9009873653), माकड़ी हेतु डॉ सुदरण मरकाम (+91-8770744682), फरसगांव हेतु डॉ आकांक्षा कश्यप (+91-7999033001), मर्दापाल हेतु डॉ कृष्ण कोर्राम (+91-8319354904), धनोरा हेतु डॉ प्रियंका ठाकुर (+91-9617565209) है। इसके अतिरिक्त नगरपालिका एवं स्वयं सेवी संस्थाओं जैसे शांति फाउण्डेशन की मदद से बीमारी के संक्रमण को रोकने हेतु बीमार पशुओं का उपचार, बायोसेक्यूरिटी मापदंड, आइसोलेशन, अप्रभावित क्षेत्रों में टीकाकरण सहित अन्य उपाय करते हुए रोकथाम एवं बचाव कार्य किया जा रहे है। शहरी क्षेत्र में नगरपालिका की सहयता से वेक्टर कंट्रोल हेतु कीटनाशक छिड़काव एवं जन जागरुकता हेतु प्रचार प्रसार कराया जा रहा है एवं आवारा पशुओं के उपचार हेतु चल पशुचिकित्सा इकाई कोण्डागांव को निर्देशित किया गया है।
क्रमांक-432/गोपाल